होने और ना होने के मीठे भ्रम के बीच में कुछ पल।
Without poetic seed there won't be prose. The entire network of branches, twigs, flowers, fruits and leaves is nothing but a commentary on the small poetic seed. So all ye wannabe writers, nurture the poet in you, who understands the value of pause in life, who moves slowly to watch everything, sight and smell everything. Brushstrokes of poetry softly touch the soul without disrupting its restful muse and bring out nuggets of love, compassion, harmony and peace. All content © Sandeep Dahiya
Saturday, October 19, 2024
Friday, October 18, 2024
वो जा रही है
वो जा रही है धीरे धीरे, बार बार पीछे मुड़के अपनी गुलाबी मुस्कराहट की छटा बिखेरती। दूर किसी नए क्षितिज पर अपने यौवन की सुनहरी किरणे बिखेरकर ओस की बूंदों को चमकते मोतियों में बदलने के लिए। शायद जो कुछ यहां अधूरा रह गया उसको पूरा करने के लिए। कुछ अधूरे सपने पूरे करने के लिए। कुछ नीरस आंखों में रोशनी भरने के लिए। कुछ उदास होठों पे शहद जैसी मीठी मुस्कान लाने के लिए। जाओ। तुम्हे रोकने की ख्वाहिश करना जीवन के एक नए आयाम को बाधित करने जैसा होगा। एक मीठी और हल्की सी उदास मुस्कराहट के साथ अलविदा। अच्छे से जाना और खूब खिलना। इतना खिलना की उसकी चमक में आने और जाने की द्वंदात्मक पीड़ा का औचित्य ही ना रहे।
Thursday, October 17, 2024
एक सांझ
टुकड़ों टुकड़ों में बटे अपने मन से देखूं तो विचार और भाव। धीरे धीरे उगता चांद। सुंदर और अद्भुत। उस विराटतम अद्भुत सौंदर्य की एक झलक।
Monday, October 14, 2024
The grand illusion
Shifting shapes..
Fragmented forms...
Cracked creations...
Floating formations...
Transitory turns...
Brief beginnings, briefer ends...
A moment in the eternal NOW...
Visible clues to the invisible unity...
Saturday, October 12, 2024
Evening Shades
Evening shades...
a musical silence...
a pleasant sadness...
a shifting stability...
a solitudional companionship...
a sweet loneliness...
a whisper...
a dewy smile...
a place where light and dark have a date.