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Thursday, May 15, 2025

मैं क्या हूं?

 मैं क्या हूं?

ना मैं साधु, ना संसारी।
बस खड़ा हूं एक नन्हे से बिंदु पर
जहां से चीज़े दिखती
कभी ठीक, कभी गलत
कभी न्यारी, कभी प्यारी।
ना मैं त्यागी, ना मैं भोगी।
बस हूं मध्यबिंदु पर टिकने
का प्रयास करता
अपने किसम का एक जोगी,
एक दृष्टा, एक मनमौजी।

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